Deepfake Technique:चेहरे बदलने का डर ,कृत्रिम बुद्धिमत्ता का दुरुपयोग

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आधुनिक तकनीक के युग में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और इसने हमारे जीवन के कई पहलुओं को बदल दिया है। AI के अनुप्रयोगों में से एक है डीपफेक (Deepfake Technique) जो एक ऐसी तकनीक है जिसमें मशीन लर्निंग का उपयोग करके किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या अन्य विशेषताओं को किसी दूसरे व्यक्ति के वीडियो या ऑडियो में बदल दिया जाता है। डीपफेक वीडियो इतने वास्तविक लगते है कि उन्हें असली से अलग पहचान करना मुश्किल होता है। हालांकि डीपफेक (Deepfake Technique) का उपयोग मनोरंजन और शिक्षा जैसे सकारात्मक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसके कई संभावित नकारात्मक प्रभाव भी हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट में Deepfake Technique के बारे में सभी महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी दी गयी है। इस लेख को पढ़कर आप यह जान पायेंगे कि Deepfake Technique क्या है, इसे कैसे बनाया जाता है, इस तकनीकी के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू क्या है, कैसे इसको पहचाने और इसके नकारात्मक प्रभावों से बचे।

Deepfake Technique (डीपफेक तकनीक) क्या है?

डीपफेक (Deepfake Technique) एक ऐसी तकनीक है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अर्थात मशीन लर्निंग का उपयोग करके किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या अन्य विशेषताओं को किसी दूसरे व्यक्ति के वीडियो या ऑडियो में बदल दिया जाता है। अर्थात डीपफेक एक ऐसी टेक्नोलाजी है, जिसमें एक वास्तविक वीडियों या आडियों में किसी दूसरे व्यक्ति के चेहरे या आवाज को फिट करके वीडियों या आडियों बनाया जाता है। यह बनाया हुआ वीडियों या आडियों वास्तविक लगता है। डीपफेक बनाने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है।

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम एक तरह का एआइ (Artificial Intelligence) है जो इतना प्रशिक्षित होता है कि उपलब्ध दो डेटासेट के बीच समानताएं पहचानकर उसे एक दूसरे में मिला करके किसी वास्तविक व्यक्ति का फेक कंटेंट बना देता है। परिणामस्वरूप, एक वास्तविक व्यक्ति का ऐसा वीडियो या ऑडियो बन जाता है जिसका सम्बंध उस व्यक्ति से होता ही नही है।

Deepfake Technique के सकारात्मक पहलू

डीपफेक तकनीक (Deepfake Technique) का उद्देश्य मशीन लर्निंग का उपयोग करके यथार्थवादी और विश्वसनीय वीडियो या ऑडियो बनाना है जो किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या अन्य विशेषताओं को किसी दूसरे व्यक्ति के वीडियो या ऑडियो में बदल देते हैं। इस तकनीक का उपयोग मनोरंजन, शिक्षा और यहां तक कि चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है।

1- मनोरंजन

Deepfake Technique का उपयोग मजेदार या हास्यपूर्ण वीडियो बनाने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि मशहूर हस्तियों को असामान्य स्थितियों में दिखाना या उन्हें ऐसी चीजें कहते हुए दिखाना जो उन्होंने कभी नहीं कही हैं। डीपफेक का उपयोग फिल्मों और टीवी शो में भी किया जा सकता है ताकि विजुअल इफेक्ट्स को और अधिक यथार्थवादी बनाया जा सके।

2- शिक्षा

डीपफेक का उपयोग ऐतिहासिक घटनाओं को जीवन में लाने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के भाषण का पुनर्निर्माण करना। Deepfake Technique का उपयोग भाषा सीखने में मदद करने के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि किसी विदेशी भाषा के बोलने वाले व्यक्ति के साथ बातचीत करते हुए दिखाने के लिए।

3- चिकित्सा

डीपफेक का उपयोग सर्जरी के प्रशिक्षण के लिए एक यथार्थवादी सिमुलेशन बनाने के लिए किया जा सकता है। डीपफेक का उपयोग चिकित्सा प्रक्रियाओं को समझाने में मदद करने के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि किसी मरीज को यह दिखाने के लिए कि उनकी सर्जरी कैसे होगी।

Deepfake Technique के नकारात्मक पहलू

Deepfake Technique की उत्पत्ति सकारात्मकता एवं रचनात्मकता के कार्यो को आसान करने के लिये किया गया है, किंतु हर टेक्नोलॉजी का एक नरात्मक पहलू भी होता है। Deepfake Technique के नकारात्मक पहलू निम्नलिखित है।

1- गलत सूचना

Deepfake Technique का इस्तेमाल किसी व्यक्ति को कुछ ऐसा कहते या करते हुए दिखाने के लिए किया जा सकता है जो उन्होंने कभी नहीं कहा या किया है। इससे गलत सूचना फैल सकती है और जनता को गुमराह कर सकती है।

2- बदनामी

डीपफेक का इस्तेमाल किसी व्यक्ति के प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, Deepfake Techniqueका उपयोग किसी व्यक्ति को किसी अपराध को करते हुए दिखाने के लिए किया जा सकता है, भले ही उन्होंने ऐसा नहीं किया हो।

3- चुनाव में हस्तक्षेप

डीपफेक का उपयोग किसी उम्मीदवार को बदनाम करने या मतदाताओं को गुमराह करने के लिए किया जा सकता है। इससे चुनाव के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। इस Deepfake Technique की उपयोग करके उम्मीदवारों की सही दिखने वाली नकली भाषण तैयार किये जा सकते है।

4- व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन

Deepfake Technique (डीपफेक) का उपयोग करके किसी व्यक्ति के निजी क्षणों को गलत तरीके से रिकॉर्ड किया जा सकता है, जो कि वास्तव में पूरा झूठा बनाया हुआ रिकार्ड होता है। सच की तरह दिखने वाले इस झूठे रिकार्ड को उस व्यक्ति को ब्लैकमेल करने के लिये सार्वजनिक रूप से साझा किया जाता है। इससे व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन होता है और उसे बड़ी शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है, इससे बचने के लिये रुपया,पैसा, धन-दौलत या कोई मनचाही चीज ब्लैकमेलर द्वारा मांगी जाती है।

डीपफेक का उपयोग करके फैलाई गई कुछ गलत सूचनाओं के उदाहरण:

डीपफेक (Deepfake Technique) का उपयोग करके फैलाई गई कुछ गलत सूचनाओंके उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, एक डीपफेक वीडियो में डोनाल्ड ट्रंप को मेक्सिको के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करते हुए दिखाया गया था। यह वीडियो वायरल हो गया और मतदाताओं को गुमराह किया।
  • 2018 में, एक डीपफेक वीडियो में मार्क जुकरबर्ग को फेसबुक उपयोगकर्ताओं के बारे में निंदनीय टिप्पणियां करते हुए दिखाया गया था। इस वीडियो ने फेसबुक के स्टॉक की कीमत में गिरावट का कारण बना।
  • 2019 में, एक डीपफेक वीडियो में एलोन मस्क को टेस्ला के बारे में झूठी घोषणाएँ करते हुए दिखाया गया था। इस वीडियो ने टेस्ला के स्टॉक की कीमत में गिरावट का कारण बना।
  • 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को यह कहते हुए दिखाया गया था कि वे चुनाव हारने के बाद हिंसा भड़काने के लिए तैयार हैं। इस वीडियो ने चुनाव के बाद होने वाली हिंसा में योगदान दिया।
  • 2022 में, एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को एक महिला के साथ अवैध संबंधों में दिखाया गया था। इस वीडियो को लाखों लोगों ने देखा और इसे वास्तविक माना गया। हालांकि, बाद में पता चला कि यह वीडियो फर्जी था।
  • 2022 में, एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति को हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करते हुए दिखाया गया था। इस वीडियो से सांप्रदायिक हिंसा भड़कने का खतरा पैदा हो गया था।
  • 2023 में, एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें अभिनेत्री रश्मिका मंदाना को एक होटल के कमरे में एक पुरुष के साथ अंतरंग संबंध बनाते हुए दिखाया गया था। इस वीडियो से अभिनेत्री की छवि को नुकसान पहुंचा और उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया।

कैसे बनाये जाते है डीपफेक

डीपफेक बनाने के बहुत तरीके है है लेकिन सबसे सरल तरीका में डीप न्यूरल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए फेस स्वैपिंग तकनीकी का उपयोग किया जाता है। इसके लिये पहले डीपफेक के आधार के तौर पर इस्तेमाल के लिये सबसे पहले टारगेट वीडियो (जिस तरह की वीडियों दिखाना चाहते है) की जरुरत होती है और फिर स्रोत/सोर्स वीडियों (उस व्यक्ति की वीडियो क्लिप जिसे टारगेट वीडियों में डालना चाहते है) की आवश्यकता होती है।

एआई के एल्गोरिदम इस दोनो वीडियों को कई कोणों और स्थितियों से विश्लेषण करके साझा गुण (फीचर्स) ढूंढ करके स्रोत वीडियों के व्यक्ति को टारगेट वीडियों में दूसरे व्यक्ति के स्थान पर डाल देता है। इसके बाद जनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (GAN) की मदद से इसे मिक्स किया जाता है। ये GAN कई राउंड में डीपफेक वीडियों या आडियों में किसी भी तरह की कमी को पहचानकर उसे दूर कर देता है और इस प्रकार तैयार वीडियों या आडियों बिल्कुल वास्तविक जैसा लगता है, जिसे डिकोड करना कठिन हो जाता है।

डीपफेक को कैसे पहचाने

Deepfake Technique से बनने वाली वीडियों पहली नजर में वास्तविक लगते है, लेकिन ध्यान से देखने पर पता चल जाता है कि वीडियों फेक है।डीपफेक बनाने वाले चेहरे का कलर और लाइटिंग ठीक उसी तरह से नही बना सकते है, जैसा कि मूल वीडियो में होता है । डीपफेक को पहचानने के लिये निम्नलिखित संकेतक है जिसकी मदद से डीपफेक की पहचान कर सकते है।

  • आमतौर पर जब दूसरे का चेहरा हटाकर उसका डीपफेक तैयार किया जाता है, तब कलर पूरी तरह से नही मिल पाते है, इसके अलावा चेहरे का हावभाव, आंखो की मूवमेंट और बाडी स्टाइल में भी फर्क होता है।
  • डीपफेक वीडियो के आवाज में अक्सर होंठ तुल्यकालन (lip syncing- बोल के उच्चारण के अनुसार होंठ मिलाना.)में गलतियां दिख जाती है।
  • डीपफेक वीडियो में त्वचा और बालो पर गौर करने पर अंतर दिख जाता है।
  • आमतौर पर डीपफेक वीडियो में लाइटिंग अप्राकृतिक होती है , मूल वीडियो से मिलान करने पर फर्क दिख जाता है।

डीपफेक से खुद को कैसे बचाएं?

हालांकि डीपफेक से पूरी तरह से बचना संभव नहीं है, लेकिन कुछ कदम हैं जो आप खुद को बचाने के लिए ले सकते हैं:

  • स्रोत पर ध्यान दें: किसी भी वीडियो या ऑडियो पर विश्वास करने से पहले, स्रोत पर ध्यान दें। क्या यह एक विश्वसनीय स्रोत से है? क्या स्रोत ने पहले कभी गलत सूचना फैलाई है?
  • वीडियो या ऑडियो की गुणवत्ता की जांच करें: डीपफेक वीडियो में अक्सर कम गुणवत्ता वाले होते हैं और उनमें असंगतियों या आर्टिफैक्ट्स हो सकते हैं। ध्यान दें कि क्या वीडियो में अजीब झटके या धुंधलेपन हैं।
  • वास्तविक जानकारी की तुलना करें: यदि आप किसी वीडियो या ऑडियो की प्रामाणिकता के बारे में अनिश्चित हैं, तो वास्तविक जानकारी से तुलना करें। क्या वीडियो या ऑडियो में दी गई जानकारी अन्य स्रोतों से मेल खाती है?
  • सोशल मीडिया पर सावधान रहें: सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो या ऑडियो पर विशेष रूप से सावधान रहें। सोशल मीडिया पर गलत सूचना तेजी से फैल सकती है।
  • डीपफेक का पता लगाने वाले टूल का उपयोग करें: कुछ टूल और तकनीकें डीपफेक का पता लगाने में मदद कर सकती हैं। इन टूल का अनुसरण करें और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी पर ध्यान दें।
  • शिक्षित और जागरूक रहें: डीपफेक तकनीक के बारे में जानें और इसके खतरों से अवगत रहें। दूसरों को डीपफेक के बारे में शिक्षित करने में भी मदद कर सकते हैं।

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सारांश (Conclusion)

Deepfake Technique एक शक्तिशाली उपकरण है जो डिजिटल दुनिया को मौलिक रूप से बदलने की क्षमता रखता है। इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि फिल्म निर्माण, शिक्षा और मनोरंजन। हालांकि, जैसा कि हमने देखा है, इस तकनीक के दुरुपयोग की भी बहुत संभावना है।डीपफेक का उपयोग आसानी से गलत सूचना फैलाने, व्यक्तियों को बदनाम करने और सामाजिक अशांति पैदा करने के लिए किया जा सकता है। इन खतरों को दूर करने के लिए, हमें गहन सोच विकसित करने और ऑनलाइन सामग्री का गंभीर रूप से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

डीपफेक तकनीक (Deepfake Technique) एक ऐसी दोधारी तलवार है जिसका भविष्य हमारे हाथों में है। यदि हम सावधान रहते हैं और जिम्मेदारी से काम करते हैं, तो यह तकनीक हमारे जीवन को बेहतर बनाने में एक महान शक्ति बन सकती है। लेकिन अगर हम सावधान नहीं हैं, तो यह हमें बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तकनीक का विकास और उपयोग नैतिक और सामाजिक रूप से जिम्मेदार तरीके से किया जाए।

समापन (Ending)

हमें याद रखना चाहिए कि डीपफेक एक नई तकनीक है और यह लगातार विकसित हो रही है। डीपफेक का पता लगाना और रोकना अधिक कठिन हो सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम सतर्क रहें और डीपफेक के बारे में शिक्षित रहें। इस आर्टिकल में Deepfake Technique के संपूर्ण विवरण को प्रस्तुत करने का यथा संभव प्रयास किया है , आशा है आप इस जानकारी को पढ़कर अवश्य लाभांवित हुये होंगे और दुसरों को भी लाभांवित कर पायेंगे। अंत तक इस जानकारी युक्त लेख को पढ़ने के लिये बहुत – बहुत धन्यवाद।

सामान्य प्रश्नोत्तर (FAQs)

Deepfake Technique (डीपफेक) कैसे काम करती हैं?

डीपफेक एक ऐसी तकनीक है जिसमें मशीन लर्निंग का उपयोग करके किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या अन्य विशेषताओं को किसी दूसरे व्यक्ति के वीडियो या ऑडियो में बदल दिया जाता है। डीपफेक वीडियो इतने वास्तविक लगते हैं कि उन्हें असली से अलग पहचानना मुश्किल होता है।

डीपफेक के लिए किन तकनीकों का उपयोग किया जाता है?

डीपफेक बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
ऑटोमेटेड फेशियल स्वैपिंग: यह तकनीक एक व्यक्ति के चेहरे को दूसरे व्यक्ति के चेहरे से बदल देती है।
वॉयस क्लोनिंग: यह तकनीक किसी व्यक्ति की आवाज की नकल करती है और उसे किसी दूसरे व्यक्ति के वीडियो या ऑडियो में जोड़ देती है।
सिंथेटिक मीडिया: यह तकनीक यथार्थवादी वीडियो और ऑडियो बनाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करती है।

Deepfake Technique का उपयोग किसके लिए किया जा सकता है?

Deepfake Technique का उपयोग कई अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है जैसे-
1- डीपफेक का उपयोग मशहूर हस्तियों को वीडियो में शामिल करने या कॉमेडी वीडियो बनाने के लिए किया जा सकता है।
2- डीपफेक का उपयोग ऐतिहासिक घटनाओं को जीवन में लाने या भाषा सीखने में मदद करने के लिए किया जा सकता है।
3- डीपफेक का उपयोग सर्जरी के प्रशिक्षण के लिए एक यथार्थवादी सिमुलेशन बनाने के लिए किया जा सकता है।
4- डीपफेक का उपयोग राजनीतिक अभियानों या विज्ञापनों में किया जा सकता है।

क्या डीपफेक का उपयोग सुरक्षित है?

Deepfake Technique के उपयोग के बारे में कई चिंताएं हैं। उदाहरण के लिए, डीपफेक का उपयोग किसी व्यक्ति को बदनाम करने या गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, डीपफेक का उपयोग धोखाधड़ी या अन्य अपराधों के लिए भी किया जा सकता है।

डीपफेक का भविष्य क्या है?

डीपफेक एक अपेक्षाकृत नई तकनीक है, और यह अभी भी विकसित हो रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि डीपफेक का भविष्य क्या है, और यह कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करेगा

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